ग़लतफहमी

 

ग़लतफहमी 


ग़लतफहमी दुनिया में सबसे बुरी चीज़ है इसके कारण सिर्फ दोस्तों का रिश्ता ही नहीं बल्कि कई बार पूरे समाज के साथ रिश्ता ख़त्म हो जाता है। ये किस्सा इसी बात की एक मिसाल है।  



पुराने ज़माने की बात है, तुर्की के एक सुल्तान थे जिनका नाम मुराद था। वो एक नेक दिल सुल्तान थे। उनकी यह आदत थी कि वो रात को भेस बदल कर अपनी सल्तनत का दौरा किया करते थे ताकि उन्हें मालूम हो जाए कि उनकी रियाया/प्रजा किस हाल में है। ये उनकी हमेशा की आदत थी। 

एक बार का किस्सा है कि सुल्तान अपने खास सिपाही के साथ शहर का दौरा करने के लिए जाता है। जब वे शहर में घूम रहे थे तो उन्होंने देखा कि एक आदमी सड़क के किनारे गिरा पड़ा है। वो दोनों उसके पास गए। उसको आवाज़ दी और उसको हिलाया-डुलाया तो पता चला कि वो मर चुका है। यह देखकर वे बहुत परेशान और हैरान हुए कि कोई रास्ते के किनारे मरा हुआ पड़ा है, न कोई उसको देख रहा है और न ही कोई उसकी खैर खबर ले रहा है। हालाँकि उस रास्ते से लोगों का गुज़रना भी जारी था। 

ऐसा नज़ारा देख कर उन्होंने आवाज़ लगाई। आवाज़ सुनकर वहाँ लोग जमा हो गए लेकिन उनमे से कोई भी सुल्तान को पहचान नहीं सका क्योंकि उन्होंने भेस बदला हुआ था। सुल्तान ने लोगों से कहा "ये आदमी सड़क के किनारे मरा हुआ पड़ा है। कोई इसको उठाता क्यों नहीं? यह कौन है? इसका घर कहाँ है? इसके बीवी बच्चे कहाँ हैं?" उस भीड़ में से एक ने कहा "भाई साहब ये आदमी बहुत गुनहगार है और बहुत बुरा इंसान है, इसलिए लोग इसके करीब नहीं आते।" सुल्तान ने कहा "वो चाहे बुरा है! चाहे कितना भी गुनहगार है, लेकिन इंसान तो है! कम से कम इस लाश को उसके घर पर ही पहुंचा देते।" जब लोगों ने सुल्तान की यह बात सुनी तो वो उसकी लाश को उठाकर उसके घर गए। सुल्तान और सिपाही भी उनके साथ चले गए। 

जब लाश उसके घर पहुंची और उसकी बीवी ने अपने शौहर (पति) की लाश देखी तो वो ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी और रोते हुए लाश की तरफ देखकर कहती रही कि तुम सच में अल्लाह के बहुत नेक बन्दे थे। सुल्तान सुनकर बहुत हैरान हुआ कि लोग तो इसके बारे में कह रहे थे कि यह एक बुरा इंसान है, वहाँ लाश के कोई करीब नहीं आ रहा था और उसकी बीवी कह रही है कि वो एक बहुत नेक इंसान था आखिर यह माजरा (बात) क्या है? सुल्तान उस औरत के पास गया और उससे कहने लगा "लोग तुम्हारे शौहर के बारे में कह रहे थे कि ये बहुत बुरा इंसान है और तुम कह रही हो कि यह खुदा का नेक बंदा है, आखिर माजरा क्या है।" वो औरत रोते हुए कहने लगी "मेरा शौहर शराब के अड्डे पर जाता और सारी शराब खरीद लेता फिर उसे वो कंही बहा देता था और घर आकर मुझसे कहता "आज मैंने बहुत सारे लोगों को शराब पीने से बचा लिया, शराबी बनने से बचा लिया, बहुत बड़े गुनाह से बचा लिया।" फिर मेरा शौहर किसी बुरी औरत के कोठे पर जाता उसे रातभर की कमाई के पैसे देकर उसका कोठा बंद करवा देता और घर आकर कहता कि मैंने लोगों को ज़िना करने से बचा लिया, नाच-गाने से बचा लिया। लोग उसे कोठे पर आते-जाते देखते थे और शराब के अड्डे पर उसे आते-जाते देखते थे तो लोगों ने यह समझ लिया कि ये कोठे पर जाता है, नाच-गाना देखता है, ज़िना करता है, शराब पीता है। ये सब देखकर सारे लोग ग़लतफहमी में मुब्तला हो गए इसलिए लोग इसे बुरा इंसान कहते हैं।   

मैं अक्सर अपने शौहर से कहती थी "जब तुम मरोगे तो तुम्हारी कोई लाश भी नहीं उठाएगा, न तुम्हे कोई नहलाएगा, न कोई कफ़न पहनाएगा, न कोई तुम्हारे जनाज़े की नमाज़ पढ़ाएगा और न ही कोई तुम्हे दफनायेगा।" वो कहता था कि "फ़िक्र न कर अल्लाह जानता है कि मैं क्या कर रहा हूँ। देखना जिस दिन मैं मरूंगा उस दिन मौजूदा वक़्त का सुल्तान मुझे नहलाएगा, मुझे दफ़नाएगा और मेरे जनाज़े की नमाज़ भी पढ़ाएगा और मेरे जनाज़े की नमाज़ में बड़े-बड़े उलेमा और वली होंगे ये सुनकर सुल्तान घुटनों के बल बैठ गया और रोने लगा उसने कहा "मैं ही सुल्तान हूँ और मैं कसम खाता हूँ कि इस नेक बन्दे को अपने हाथों से नहलाऊंगा, दफ़नाऊँगा और जनाज़े की नमाज़ भी पढूंगा।" 

तारीख गवाह है कि उस बन्दे की जनाज़े की नमाज़ में बड़े-बड़े उलेमा और वलियों ने शिरकत की थी और सुल्तान ने उसे अपने हाथों से उसे दफनाया था।

कई बार किसी के काम का तरीका गलत हो सकता है लेकिन ज़रूरी नहीं की उसका इरादा भी गलत ही हो किसी के बारे में कोई फैसला लेने से पहले उसके बारे में पूरी जानकारी मालूम होना ज़रूरी है। दूसरे शब्दों में कह सकते है कि कई बार लोग किसी आदमी की किसी एक हरकत को देखर दिल में ग़लतफहमी पाल लेते है कि वह कोई बुरा काम कर रहा है हांलांकि लोगों को पता नहीं होता कि उसकी हक़ीक़त क्या है? फिर भी लोग उसके बारे में ग़लतफहमी कायम कर लेते हैं और ये बात यही नहीं रूकती लोगों द्वारा उस ग़लतफहमी को समाज में फैला दिया जाता है और समाज में उसकी इज़्ज़त ख़त्म हो जाती है। परेशानी तब आती जब उस आदमी के गलत दिखने वाले काम की हक़ीक़त कुछ और ही होती है और उस बेक़सूर को समाज में बुरी नज़र से देखा जाने लगता है।   

किसी आदमी के बारे में अपने दिल में कोई गलफ़हमी कायम न करें जब तक कि उसकी पूरी हक़ीक़त मालूम न हो जाए और दूसरे के बारे में अपनी ग़लतफहमी को किसी और से शेयर न करें।  

एक इंसान चाहे कितना ही गुनहगार हो लेकिन हमें उसकी बुराई से नफरत करनी चाहिए न कि उस इंसान से जो गुनाहगार हो। अगर पता हो कि कोई बुराई में पड़ा हुआ है तो हमें उसकी उस बुराई से निकलने में उसकी मदद करनी चाहिए।

मुस्लिम भाइयों से एक गुज़ारिश :-

किसी इंसान की हक़ीक़त जाने बग़ैर फ़ौरन फ़तवा नहीं लगा देना चाहिए कि ये जन्नती या जहन्नमी है। जन्नत और जहन्नम का फैसला करने की ज़ात अल्लाह की है और अल्लाह ने अपने फैसले में किसी की राय नहीं मांगी वो उसकी ज़िम्मेदारी है। ये उसका काम है। उसके काम में दखल देने वाले हम और आप होते कौन है ? यहाँ पर तो हर इंसान पर सवालिया निशान लगा है कि कौन जन्नती है या जहन्नमी? 

कल क़यामत के दिन जब लोगों के भेद खुलेंगे तो हो सकता है कि हम जिसको बुरा समझते थे वो जन्नती निकल जाए और जिसको हम अच्छा समझ रहे थे उसके लिए जहन्नम का फैसला हो जाए। इस बारे में खामोश रहना चाहिए। किसी के बारे इस तरह की कोई राय नहीं बनानी चाहिए। लोगों की इस बारे में फ़िक्र करना छोड़कर, हमें खुद की फ़िक्र करनी चाहिए। 

कौन जन्नती या जहन्नमी है? सिर्फ अल्लाह जानता है और बेशक वो ही सच्चा फैसला करने वाला है।      

 

एक टिप्पणी भेजें

please do not enter any spam link and do not write abusing words in the comment box

और नया पुराने