बहादुरी का इनाम

 

बहादुरी का इनाम

एक ऐसा अजीब किस्सा जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगा कि एक नकारात्मक सोच इन्सान को क्या से क्या बना देती है? दूसरे शब्दों में कहें तो नकारात्मक सोच का प्रभाव इतना खतरनाक हो सकता है कि एक इंसान बुरे से बुरे काम कर गुज़रता है।


 

बात तब की है जब कभी राजा-महाराजाओं का दौर हुआ करता था एक छोटे गाँव में कुछ परिवार रहते थे। उस गाँव के सभी आदमी गाँव से बाहर जाकर खेती किया करते थे। इसलिए अक्सर दिन के समय महिलाएं और बच्चे ही घरों में रहते थे।  

  

एक दिन लुटेरों के एक गिरोह का गुज़र उस इलाके से हुआ, जहाँ पर वह गाँव बसा हुआ था। उन्होंने उस गाँव पर हमला कर दिया। वे लोग इतने ज़ालिम थे कि उनका धन-दौलत से पेट नहीं भरा तो उन्होंने महिलाओं की इज़्ज़त पर भी हमला कर दिया।


एक लुटेरा लूटपाट के इरादे से एक घर में घुसा उस घर में एक औरत मौजूद थी उसने डाकू का बहुत बहादुरी से लड़ते हुए मुकाबला किया और आख़िरकार वह लुटेरा मारा गया। उस बहादुर औरत ने उस लुटेरे की गर्दन काट दी। बाकी लुटेरे लूटपाट करके वहां से चले गए


लुटेरों के जाने के बाद सभी औरतें अपने-अपने फटे हुए कपड़े लेकर बाहर निकलीं। एक दूसरे से मिलकर बहुत रोईं और रोते हुए अपनी दास्ताँ एक-दूसरे को सुनाने लगी।


कुछ ही देर बाद वो बहादुर औरत अपने हाथों में एक लुटेरे का कटा हुआ सर लिए हुए बहार निकली और वो उन औरतों की ओर बढ़ने लगी। जब ये नज़ारा उन सभी औरतों ने देखा तो वो सभी औरतें बहुत हैरान हुई और बहुत ध्यान से उसे देखने लगीं कि वह किस बहादुरी, खुद्दारी से और बेखौफ उनकी तरफ आ रही है। वो बहादुर औरत उनके पास आई और उन सबको पुकार कर कहा कि "तुमने क्या सोचा था कि मैं क्या वो मुझे मारे बगैर मेरी इज़्ज़त को हाथ लगा सकता था? हरगिज़ नहीं, जब डाकू मेरी तरफ बढ़ा तो मैंने उसका मुकाबला किया और आखिरकार वो मेरे हाथों मारा गया और मैंने उसका सर कलम कर दिया। इस तरह से मैंने अपनी इज़्ज़त बचा ली।" ये सुन कर सभी औरतें हैरान हुई और शर्मिंदा भी हुई।


फिर उन औरतों ने एक दूसरे की और देखा अब उनके सामने बहुत बड़े सवाल खड़े हो गए थे, जैसे की काम से वापस आने पर हमारे पति ये सवाल न पूछ ले कि उस बहादुर औरत की तरह तुमने मुकाबला क्यों नहीं किया था। हम पर कायरता, बुज़दिली का लेबल लग जाएगा, हमारे पति हमसे अपना रिश्ता भी तोड़ सकते है। इस बहादुर औरत की वजह से हमारी समाज में जग हंसाई के साथ-साथ बेइज़्ज़ती भी जो जाएगी।


ये सब सोच कर उन सभी ने फैसला लिया की जल्द से जल्द हमारे पतियों के आने से पहले उस बहादुर औरत को मार दिया जाए ताकि उनकी जो कुछ बची-कूची इज़्ज़त है, वो बाकी रहे। उन सभी औरतों ने मिलकर उस बहादुर औरत का क़त्ल कर दिया। उन औरतों ने अपनी ज़िल्लत/बेइज़्ज़ती को बचाने की लिए एक इज़्ज़तदार को क़त्ल कर दिया।


ये किस्सा हमें सोचने पर मजबूर कर देता है की इंसान की नकारात्मक सोच किस तरह उसे राक्षस और वहशी बना सकती है। सिर्फ अपनी झूठी इज़्ज़त बचाने की खातिर एक बहादुर और इज़्ज़तदार औरत की जान ले ली। क्या यह इन्साफ था आप इस बारे क्या सोचते है ?


एक बहादुर और इज़्ज़तदार औरत ने जिस तरह से अपनी इज़्ज़त बचाई वो इनाम की हक़दार थी। लेकिन समाज ने उसे बहादुरी के इनाम के बदले में मौत दे दी।


क्या एक बहादुरी का ईनाम मौत हो सकती है ? क्या अपने स्वार्थ के लिए दूसरों की ज़िन्दगी के कोई मायने नहीं होते ? 


अपने स्वार्थ की ख़ातिर दूसरों की ज़िन्दगी को ख़त्म करना या परेशान करना कहाँ का इन्साफ है? 


आज के दौर में तो ऐसा बहुत ज़्यादा हो रहा है कि एक क्रिमिनल या अपराधी किस्म के आदमी सभ्य और ईमानदारों पर तानाकशी करते हैं, उनकी इज़्ज़त पर हमला करते हैं, उनकी बुराई करते हैं, उनकी बेइज़्ज़ती करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं, यहाँ तक कि उनको क़त्ल करने में भी पीछे नहीं रहते हैं।


सवाल पैदा होता है कि वो ऐसा क्यों करते हैं क्योंकि वो अपनी ज़िन्दगी तो पहले ही ख़राब कर चुके हैं और जो सही और ईंमानदार हैं उनकों भी अपने जैसा देखना चाहते हैं।


अगर आपको ऐसे लोग मिल जाये जो अच्छे और सच्चे लोगों की बुराई करते हों तो समझ लेना ये उन औरतों की औलाद हैं जिन्होंने अपनी बेइज़्ज़ती को छिपाने के लिए एक इज़्ज़तदार का क़त्ल कर दिया था।




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