ज़िन्दगी में शॉर्ट वीडियो व रील्स का प्रभाव
आजकल शॉर्ट वीडियो या रील्स देखने का चलन बहुत बढ़ गया है और ऐसी वीडियो
लगभग हर आयु वर्ग द्वारा देखी जारी है। ऐसे लोगो की तादाद बढ़ती जा रही है जो इन
शॉर्ट वीडियो को देखने में अपना कीमती वक़्त गुज़ार देते हैं और धीरे धीरे इनके आदि
होते जा रहे हैं। इन वीडियो का सबसे ज़्यादा असर दिमागी सेहत पर पड़ता है।
इस तरह की वीडियो की शुरुआत टिक-टॉक से हुई थी, टिक-टॉक बंद हो जाने के बाद फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर शॉर्ट/रील्स बनने लगी। वैसे तो इन वीडियो को मनोरंजन के लिए बनाया जाता है और ऐसी वीडियो को बनाने में सेलिब्रिटी से लेकर आम आदमी तक सभी शामिल है। खासकर युवा वर्ग में इस तरह की वीडियो बनाने का बहुत उन्माद (क्रेज) है।
यूट्यूब पर अपलोड होने वाली वीडियो शॉर्ट्स कहलाती है और फेसबुक व इंस्ट्राग्राम पर अपलोड होने वाली वीडियो रील्स कहलाती है।
लोग वीडियो देखने के आदि क्यों हो जाते है ?
इस तरह की वीडियो ज़्यादा बड़ी नहीं होती और इसलिए बोरिंग वीडियो भी देख ली जाती है, लेकिन अगर वीडियो ज़्यादा ही बोरिंग हो तो आगे स्क्रॉल कर दी जाती है। ऐसी स्थिति में आपको वीडियो चुनने का मौका नहीं मिलता बस एक के बाद एक वीडियो चलती चली जाती है और समय कब गुज़र जाता है, पता ही नहीं चलता।
ऐसी वीडियो में सबसे ज़्यादा तादाद कॉमेडी की होती है इसलिए बच्चो से लेकर बुजुर्गों तक इन वीडियो को देखा जाता है। जो लोग इन वीडियो के आदि हो चुके होते है वो इन वीडियो को देखने का कोई मौका नहीं छोड़ते है।
सबसे दिलचस्प तो वो वीडियो होती हैं जिनमें फ़िल्मी गीत पर डांस स्टेप करते है और फ़िल्मी डायलाग पर अजीब एक्टिंग कर रहे होते है।
बहुत से ऐसे लोग भी है जो अपनी वीडियो में मोहल्ले की रेहड़ी या ढाबे से लेकर रेस्टोरेंट तक के खाने-पीने की रेसिपी से अवगत करवाते है और इसके अलावा ऐतिहासिक स्थानों की सैर करवाते हुए भी देखे जाते हैं।
बहुत अफसोसजनक बात है कि ऐसी शॉर्ट /रील्स भी बनायीं जाती है जिनमे अश्लील सामग्री होती है और ऐसे लोगो की कमी नहीं है जो इन्हे देखना पसंद न करते हो। ऐसी वीडियो से दूरी बना कर रखनी चाहिए।
मनोरंजन करना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन इसकी अधिकता बहुत नुकसानदायक हो सकती है।
शॉर्ट्स /रील्स देखने के नुक्सान
ये तो आपने सुना ही होगा की बच्चे जैसा देखते है वैसा ही सीखते है, लेकिन अब इसमें बड़े भी शामिल हो गए है।
एक अध्ययन के मुताबिक शॉट वीडियो देखने से बच्चों और बुजुर्गों के व्यवहार में बहुत बदलाव आ रहा है और यूट्यूब पर इनकी वीडियो इसका सबसे बड़ा सबूत है। बहुत सी वीडियो में अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया जाता है, बच्चे इस भाषा को जल्दी सीखते हैं और बात करने के दौरान इसका प्रयोग करने लगते हैं और इसके कारण कई बार माता -पिता को शर्मिंदा होना पड़ता है बशर्ते वह स्वयं संस्कारी हो।
बहुत से ऐसे लोग भी हैं जिनके लिए ऐसी वीडियो देखते रहना एक नशा करने जैसा बन गया है। कईं लोग अक्सर जब वीडियो देखना शुरू करते हैं तो एक के बाद एक लगातार बहुत सारी वीडियो देख लेते है और उन्हें पता ही नहीं चलता कि वे अपना कितना कीमती वक्त बर्बाद कर चुके है। जो लोग देर रात तक ऐसी वीडियो देख कर सोते हैं उनका सोने का रूटीन बिगड़ जाता है और फिर अगले दिन नींद आती रहती है। नींद पूरी न होने के कारण तनाव बढ़ने लगता है जिसके फलस्वरूप रक्तचाप (बीपी) बढ़ने की परेशानी हो सकती है और इसके कारण मानसिक तनाव भी हो सकता है।
मोबाइल पर लगातार वीडियो देखते रहने से बच्चों की आंखों पर बुरा असर तो पड़ता ही है साथ-साथ उनकी शारीरिक गतिविधियों पर भी असर पड़ता है। स्क्रीन पर ज्यादा वक्त गुजारने से नज़र कमज़ोर होने लगती है, आंखों का पानी सूखने लगता है जिसके कारण आंखें लाल हो जाती है और उन में खुजली होने के साथ-साथ सर दर्द भी हो सकता है। शारीरिक एक्टिविटी बंद हो जाती है जिसके कारण वजन भी बढ़ सकता है।
एक अध्ययन में पाया गया है कि निरंतर मोबाइल देखते रहने के कारण बच्चे में सीखने की क्षमता कम हो जाती है और यह एक बहुत गंभीर समस्या है इसलिए छोटे बच्चों को मोबाइल बिल्कुल भी नहीं देना चाहिए।
क्या आपको भी ऐसी वीडियो की लत लग चुकी है? इन सवालों का जवाब आप खुद से पूछिए -
२ किसी दिन अगर वीडियो देखने को ना मिले तो क्या आपको बेचैनी होती है।
३ लोगों से बात करने के बजाय आप शॉट वीडियो देखना ज़्यादा पसंद करते हैं।
4 क्या बीमारी की हालत में भी शॉर्ट वीडियो या रील्स देखते हैं।
५ क्या शॉर्ट वीडियो देखते वक्त यह सोचते हैं कि आप बेहतर एक्टिंग कर सकते हैं।
सबसे खतरनाक स्थिति वह होती है जब वीडियो को देखकर इंसान यह समझने लगता है कि ऐसी एक्टिंग तो मैं भी कर सकता हूं और फिर सही एक्टिंग न कर पाने के कारण वह तनाव में आ जाता है और यदि बात बढ़ जाए तो दिमागी रूप से बीमार भी हो सकता है।
इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए कुछ उपाय
शॉर्ट वीडियो/रील्स पर वक्त गुजारने वालों को सबसे पहले यह समझना होगा कि वह ऐसी वीडियो को देखकर अपना कीमती वक्त बर्बाद कर रहे हैं और इसके कारण दिमाग और आंखों पर इसका बुरा असर पड़ रहा है। इसके अलावा अपने आप को समझाएं कि जो लोग वीडियो को बना रहे हैं वह तो अपनी कमाई कर रहे हैं लेकिन आपको, वक़्त की बर्बादी के अलावा कुछ हासिल नहीं हो रहा है और फलस्वरूप आप अपनी तरक्की पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे हैं और सबसे बड़ी बात आप अपनी आंखों और सेहत का नुकसान कर रहे हैं।
वीडियो देखने के आदि हो चुके लोग अक्सर अपने पारिवारिक रिश्तों से भी धीरे-धीरे दूर होने लगते हैं और यदि बात बढ़ जाए तो एक वक़्त ऐसा भी आता जब उस व्यक्ति को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होता कि उसे वीडियो देखते हुए कोई परेशान करें। फिर ऐसे व्यक्ति को अकेलापन अच्छा लगने लगता है।
अगर आपके पास खाली वक्त है तो आप अपने दोस्तों से बातें करें उनसे मिले और शारीरिक गतिविधि वाले खेल खेलें। ऐसी शारीरिक गतिविधियों से शरीर सेहतमंद भी होगा।
जो लोग शॉट वीडियो के बिना नहीं रह सकते उनको चाहिए कि वह एक टाइम लिमिट तय कर ले और फिर उस पर पक्के तौर पर कायम रहें। वीडियो देखने की समय सीमा कम करते जाएँ और धीरे धीरे ऐसी वीडियो को देखना बंद ही कर दे।
हमें एक ही जीवन मिला है अगर हम उसे भी फालतू चीजों में बर्बाद कर देंगे तो हमारा वर्तमान और भविष्य दोनों खराब हो जाएंगे और हमें इसे सुधारने का दोबारा मौका नहीं मिलेगा।
एक बात याद रखें कि जब भी किसी व्यक्ति का भविष्य खराब होता है तो अकेले उसका ही भविष्य खराब नहीं होता बल्कि उससे जुड़े लोगों पर भी उसका असर पड़ता है।
जिंदगी आपकी है और इसे सही ढंग से गुज़ारने का प्रयास भी आपका ही होगा।

