KALA JADUGAR

 

 

KAHANI

 

जिंदगी में जितना ज़रूरी खाना-पीना, सोना-जागना होता है, वैसे ही जिंदगी के लिए मनोरंजन भी उतना ही ज़रूरी होता है। यदि जिंदगी में से मनोरंजन निकाल दिया जाए तो दुनिया एक चलती फिरती लाश की तरह नज़र आएगी। कहानियाँ सदियों पुराना वह स्वस्थ मनोरंजन है, जिसमें पूरा परिवार शामिल हो सकता है। मनोरंजन के साथ-साथ जिंदगी के खट्टे मीठे अनुभवों से अवगत कराती है कहानी और सीख भी देती है। तो शुरू करते हैं कहानियों का सिलसिला

खूबसूरत शहज़ादी और काला जादूगर

 

शाम देश का एक राजा था। राजा का एक होनहार बेटा था, जिसका नाम सिकंदर था वह खूबसूरत होने के साथ-साथ एक बेहतरीन तीरंदाज़ और तलवारबाज़ भी था। 

एक दिन की बात है सिकंदर अपने दोस्तों के साथ जंगल में शिकार करने जंगल में गया। जंगल में एक हिरण का पीछा करते-करते वह अपने दोस्तों से बिछड़ गया और नदी किनारे पर जा पहुंचा। वहां उसने देखा कि एक चिड़िया पर बार-बार एक गिद्ध हमला कर रहा है। चिड़िया जहाँ-जहाँ जाती गिद्ध उसके पीछे-पीछे उसे मारने की कोशिश करता। यह देखकर सिकंदर को चिड़िया पर रहम आ गया। उसने तुरंत अपना तीर कमान निकाला और गिद्ध की गर्दन पर वार कर दिया, गिद्ध तड़पता हुआ नदी में गिर कर मर गया। वह चिड़िया नदी किनारे पर सिकंदर के पास आई और देखते ही देखते वह चिड़िया से एक परी के रूप में आ गई। यह देखकर सिकंदर बहुत हैरान हुआ। परी ने उसे बताया कि वह गिद्ध, एक देव (राक्षस) था उसने मुझे चिड़िया बनाकर कैद कर लिया था, मैं परिस्तान की मलिका हूं, यह मुझे मारकर परिस्तान पर कब्जा करना चाहता था, लेकिन तुमने इसे मारकर मेरी जान बचाई इसलिए तुम्हारी बहुत शुक्रगुज़ार हूँ और इस बात से खुश होकर, मैं तुम्हें एक अंगूठी देती हूं। यह अंगूठी जब भी तुम पहनोगे तो उस वक़्त से लेकर जब तक तुम्हारी सात ख्वाहिशें पूरी न हो जाए तब तक यह अंगूठी तुम्हारे साथ रहेगी और जब तुम्हारी सभी सात ख्वाहिशें पूरी हो जाएंगी तो यह अंगूठी वापस मेरे पास आ जाएगी। सिकंदर अंगूठी देखकर खुश हुआ उसने अंगूठी अपने पास रख ली और परी सिकंदर से इजाज़त लेकर चली गई। सिकंदर अपने दोस्तों को ढूंढने लगा। थोड़ी दूर आगे जाने पर उसके दोस्त भी उसे मिल गए और वे सब अपने-अपने घर चले गए। 

सिकंदर अपने महल में पहुँच कर परी की दी हुई अंगूठी के बारे में सोचने लगा! क्या ये सच में ही मेरी ख्वाहिश पूरी कर सकती है? फिर वह सोचते हुए खुद से कहने लगा की खुदा का दिया हुआ सब कुछ मेरे पास है अगर मैं किसी परेशानी में फंस जाऊंगा तब इसका इस्तमाल करूँगा। यह सोच कर उसने वह अंगूठी अपने पास रख ली। 

 

एक दिन सिकंदर अपने महल के बाग़ में टहल रहा था। तभी उसका एक करीबी दोस्त उसके पास आया और उसने यमन की शहज़ादी की ख़ूबसूरती की तारीफे करने लगा और उसने बताया की शहज़ादी इतनी ज़्यादा खूबसूरत है कि उसकी खूबसूरती के चर्चे दूर-दूर के मुल्कों में भी हो रहे हैं। यह सुनकर सिंकंदर की इच्छा हुई शहज़ादी को एक बार तो ज़रूर देखना चाहिए।

 

एक दिन सिकंदर ने अपने दोस्त से कहा की चलो हम भी शहजादी को देखने चलते हैं। यह सुनकर सिकंदर का दोस्त बहुत खुश हुआ और फिर दोनों यमन की शहजादी को देखने के लिए रवाना हो गए। 

जब वे दोनों यमन में पहुंचे तो उन्हें एक बाज़ार दिखाई दिया वे दोनों बाज़ार की तरफ बढ़े और उस बाजार को देखने लगे। अभी उन्हें बाज़ार घूमते हुए कुछ ही समय बिता था कि तभी वहां कुछ सैनिक आ गए, उन्होंने ऐलान किया कि रास्ते छोड़ दो यहां से शहजादी की सवारी गुजरने वाली है यह ऐलान सुनकर सिकंदर खुश हो गया और जल्दी से उसने एक ऊंची जगह तलाश की और उस पर खड़ा हो गया दरअसल वह शहज़ादी को करीब से देखना चाहता था। थोड़ी देर में ही शहजादी की सवारी आ गई। लेकिन सिकंदर यह देखकर मायूस हो गया की शहजादी और उसकी सहेलियों ने नकाब से अपना चेहरा छुपाया हुआ था जैसे ही शहज़ादी की सवारी सिकंदर के सामने से गुजरने लगी तभी एक हवा के जोरदार झोंके में शहजादी का नक़ाब चेहरे से हटा दिया। इसी दौरान शहजादी को देखने का मौका सिकंदर को मिल गया। मानों सिकंदर की ख्वाहिश पूरी हो गई हो। शहजादी को देखकर सिकंदर का होश जाता रहा, वह एकटक शहज़ादी को देखने लगा और यहाँ तक कि शहज़ादी की सवारी के जाने बाद भी उसकी सवारी को देखता रहा। शहज़ादी की सवारी के जाने के बाद उसके दोस्त ने सिकंदर को झकझोर दिया और उसने सिकंदर से कहा की शहज़ादी की सवारी चली गई। यह सुनकर सिकंदर होश में आया और अपने दोस्त से कहने लगा कि जैसा सुना था उससे भी ज्यादा खूबसूरत शहजादी को पाया। 

 

सिकंदर ने कुछ दिन और यमन में ठहरने का फैसला किया ताकि कोई ऐसी सूरत निकल आए जिससे वह शहजादी को फिर से देख सके। इस घटना के कुछ दिनों बाद ही सिकंदर ने एक सिपाही को ऐलान करते सुना की शहजादी को एक काला जादूगर उठाकर ले गया है, जो भी शहजादी को ढूंढ कर लाएगा उसे पूरी सल्तनत मिलेगी और शहजादी के साथ शादी भी कराई जाएगी। यह खबर सुनकर सिकंदर दुखी हुआ और बादशाह के महल के दरवाजे पर जा पहुंचा और उसने चौकीदार से कहा बादशाह से कहो कि मुल्क शाम का शहजादा सिकंदर आया है, बादशाह ने सिकंदर को राजदरबार में बुलवा लिया। सिकंदर ने राजदरबार में पहुँच कर बादशाह को झुक कर सलाम किया। सिकंदर ने कहा मैं शाम का शहजादा सिकंदर हूं। इतना सुनते ही बादशाह ने कहा "क्या तुम भी मेरी बेटी के लिए आए हो" सिकंदर ने सिर हिलाकर हाँ में जवाब दिया। सिकंदर का जवाब देखर पूरे दरबार में सन्नाटा छा गया और सभी दरबारी एक-दूसरे को देखने लगे। बादशाह के चेहरे पर परेशानी झलकने लगी और बहुत उदास हो गया। फिर बादशाह ने सिकंदर से कहा कि हमारी बेटी को काला जादूगर उठाकर ले गया है, तभी से हमारी बेटी लापता है। बादशाह ने खुलकर उस घटना के बारे में बताया की शहजादी अपनी सहेलियों और कनीज़ों के साथ नदी किनारे सैर करने गई थी। अभी वे सब आपस में बातें ही कर रही थी कि अचानक ही जमीन में से एक काला धुँआ निकलने लगा यह धुँआ देख कर शहजादी और उसकी सहेलियाँ घबरा गई फिर वह धुँआ हवा के भँवर में बदल गया, उस भँवर में से एक काला जादूगर निकला उसे देख कर शहजादी और उसकी सहेलियां भागने लगी जादूगर ने उन्हें जादू से वहीं पर बर्फ की तरह जमा दिया और शहजादी को उठाकर गायब हो गया। उसके जाने के बाद शहजादी की सभी सहेलियाँ पहले के जैसे हो गई। उन्ही में से शहज़ादी की एक सहेली ने सारा किस्सा मुझे सुनाया मैंने अपनी बेटी को वापस पाने के लिए सभी जादूगरों और नजूमियों (भविष्य देखने वाले) की मदद ली, लेकिन सब बेकार हो गया इसलिए मैं बहुत उदास हूं। सिकंदर ने बादशाह को भरोसा दिलाते हुए कहा मैं आपकी बेटी को ढूंढ कर आऊंगा उसकी बात सुनकर राजा खुश तो होता है लेकिन अगले पल फिर से उदास हो जाता क्योंकि उससे पहले जितने भी लोग आए वे सब नाकाम रहे थे। बादशाह ने सिकंदर के ठहरने के लिए शाही मेहमानखाने का इंतजाम करवाया। सिकंदर शाही कमरे में आराम कर ही रहा था, तभी राजा का सिपाही आया और उसने सिकंदर से कहा कि बादशाह आपसे मिलने आ रहे हैं यह कह कर सिपाही वहाँ से चला गया। सिकंदर राजा का इंतजार करते हुए सोचने लगा कि बादशाह इस समय मुझ से क्यों मिलना चाहते हैं? थोड़ी देर में बादशाह आया, बादशाह को देखकर सिकंदर अदब से खड़ा हो हुआ। बादशाह भी सिकंदर से बहुत खुशी से मिला। बादशाह एक कुर्सी पर बैठ गया और सिकंदर को बैठने का इशारा किया। फिर बादशाह का इशारा पाकर वह भी बैठ गया। बादशाह ने कहा कि हम उस जादूगर न तो जानते हैं? और न ही यह जानते हैं कि वह शहजादी को कहां ले गया? बादशाह के दिल में जो सवाल घूम रहे थे अब वह सिकंदर से पूछने लगा कि तुम जादूगर का पता कैसे लगाओगे? उसका सामना कैसे करोगे? और जादूगर से लड़ाई करने के लिए तुम्हारी क्या तैयारी है? तब सिकंदर ने बादशाह को एक अंगूठी दिखाई बादशाह ने उसे अंगूठी को देखा तो उसने कहा कि तुम मुझे यह अंगूठी क्यों दिखा रहे हो? सिकंदर ने कहा यह कोई मामूली अंगूठी नहीं है यह अंगूठी मुझे एक परी से मिली है और सिकंदर ने परी का सारा किस्सा बादशाह से कह सुनाया। सिकंदर ने बादशाह से कहा कि मैंने इस अंगूठी का अभी तक इस्तमाल नहीं किया इसलिए मुझे यकीन है कि मैं शहजादी को ढूंढ लूंगा। बादशाह यह सुनकर बहुत खुश हुआ। बादशाह ने सिकंदर से कहा "अब तुम आराम करो" यह कहकर बादशाह चला गया और सिकंदर भी सो गया। 

 

अगली सुबह सिकंदर बादशाह के पास गया और वह बादशाह से इजाज़त ले कर वह अपने शाही कमरे में वापस चला गया और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। फिर उसने अंगूठी पहन ली। अंगूठी पहनकर सिकंदर ने अपनी आंखें बंद की और दिल में कहने लगा कि मुझे उस जादूगर के पास ले जाओ जहाँ शहजादी कैद है, तभी सिकंदर को एक झटका लगा और खुद को एक घने जंगल में पाया। थोड़ी देर बाद वहाँ एक काला जादूगर आया और सिकंदर को देखकर भयानक आवाज में पूछा कौन हो तुम? सिकंदर ने कहा कि मैं यहाँ शहजादी को अपने साथ ले जाने के लिए आया हूं। काला जादूगर जोर-जोर से हंसने लगा और कहने लगा कि "तुम यहां तो गए हो लेकिन जिंदा लौट कर नहीं जाओगे" जादूगर ने कहा कि मैं शहजादी से शादी करने वाला हूं और उसके सामने ही मैं तुम्हें तड़पा-तड़पा कर भयानक मौत दूंगा। यह सुनकर सिकंदर ने अपनी तलवार निकाल ली और वह अपनी तलवार लेकर जादूगर की ओर बढ़ने लगा। काले जादूगर के सिर पर दो सींगों के बीच में एक छोटी खोपड़ी थी, उन दोनों सींगों में से एक बिजली जैसी रोशनी निकली जो सिकंदर से टकराई तो सिकंदर को ऐसा महसूस हुआ कि जैसे उसके ऊपर आग फेंक दी हो वह जोर-जोर से चीखने लगा। दर्द में तड़पने लगा और बेहोश हो गया। 

 

जब सिकंदर को होश आया तो उसने देखा कि उसके दोनों हाथ एक मोटी रस्सी से बंधे हुए हैं और पास ही में एक बहुत खूबसूरत लड़की खड़ी हुई थी जिसे देखते ही सिकंदर पहचान गया कि यह वही शहजादी है जिसे वो लेने आया है। शहजादी के पास काला जादूगर भी खड़ा हुआ था। जादूगर ने शहजादी से कहा कि यह तुम्हें बचाने आया है और अब मैं तुम्हारे सामने ही इसे बहुत भयानक तरीके से मारूंगा। शहजादी ने जादूगर से कहा इसे छोड़ दो मैंने अपनी जिंदगी से समझौता कर लिया अब मैं तुमसे शादी के लिए भी तैयार हूं इसलिए इसे जाने दो। जादूगर बोला ये आया तो अपनी मर्जी से था लेकिन जाएगा नहीं, अब मैं इसे बहुत भयानक मौत दूंगा। अभी शहजादी जादूगर से कुछ और कहने ही वाली थी कि सिकंदर ने शहजादी से कहा कि आप इससे मेरे लिए मिन्नतें न करें मैं इसे यहां मारने और आपको यहां से ले जाने आया हूं। यह सुनकर जादूगर को गुस्सा आ गया उसने एक मंत्र फूँका तभी एक बहुत बड़ा सांप पहाड़ों के बीच में से निकाला और सिकंदर की तरफ बढ़ने लगा। देखते ही देखते सांप सिकंदर की टांगों पर लिपटने लगा। यह देख कर सिकंदर ने आंखें बंद की और दिल में ख्वाहिश की यह सांप मर जाए, मेरी रस्सी खुल जाए और मुझ पर जादूगर के जादू का कोई असर न हो। जैसे ही सिकंदर ने अपनी आंखें खोली तो वहां एक नेवला आ गया। उसने अपने तेज नुकीले दाँतों से सांप पर हमला कर दिया तो सांप ने सिकंदर को छोड़ दिया और नेवले से लड़ने लगा। नेवले से लड़ते हुए सांप मारा गया। दूसरी तरफ सिकंदर के हाथ भी खुल गए थे, यह देखकर काले जादूगर को बहुत गुस्सा आया। उसने जादू करने के लिए सिकंदर पर मंत्र फूँका लेकिन जादूगर के जादू का सिकंदर पर कोई असर न हुआ। सिकंदर ने ख्वाहिश की कि उसके हाथ में उसकी तलवार आ जाए, ऐसा सोचते ही सिकंदर की तलवार उसके हाथ में आ गई। यह देखकर काला जादूगर जोर से चिल्लाया और उसके हाथ में भी एक तलवार आ गई। क्योंकि सिकंदर तलवारबाजी में बड़ा माहिर था। इसलिए सिकंदर ने काले जादूगर को थोड़ी देर में ही शिकस्त दे दी और जादूगर की तलवार भी उससे दूर कहीं गिर गई। यह देखकर शहजादी बोली इसकी खोपड़ी तोड़ दो। यह सुनकर जादूगर को गुस्सा आया और उसने शहजादी पर मंत्र फूँकना चाहा तभी सिकंदर ने उछलकर जादूगर की खोपड़ी पर वार कर दियाउसके वार से जादूगर के सींग और खोपड़ी दोनों के टुकड़े-टुकड़े हो गए जादूगर तड़पने लगा और आग में जलकर खाक हो गया। फिर सिकंदर ने ख्वाहिश की कि वह शहज़ादी के साथ उसके महल पहुंच जाए। बादशाह दोनों को देखकर बहुत खुश हुआ। अपनी बेटी को गले से लगा लिया शहजादी, सिकंदर के जौहर के बारे में बादशाह को बताने लगी। वादे के मुताबिक बादशाह ने अपनी सल्तनत सिकंदर को दे दी और शहजादी से उसकी शादी भी करवा दी। इस तरह से सब हँसी ख़ुशी रहने लगे।


एक टिप्पणी भेजें

please do not enter any spam link and do not write abusing words in the comment box

और नया पुराने