Responsibilities of Parents


माता-पिता की ज़िम्मेदारी



एक बच्चा जब दुनिया में आता है तो सबसे पहले उसे जो रिश्ता मिलता है वो माता-पिता का होता है इसलिए यह रिश्ता बाकी रिश्तों से खास होता है। एक बच्चे की ज़िन्दगी और उसके भविष्य की ज़िम्मेदारी पूरी तरह से पेरेंट्स की होती है और अक्सर सभी पेरेंट्स अपनी ज़िम्मेदारी बखूबी निभाते हैं।

सभी माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा तरक्की करे, बड़ा मुकाम हासिल करे। लेकिन बहुत कम पेरेंट्स ऐसे होते हैं जिनका ध्यान बच्चों को एक अच्छा इंसान बनाने की ओर जाता है।  


सभी पेरेंट्स को चाहिए कि वो अपने बच्चों को सबसे पहले एक अच्छा इंसान बनाएँ। फिर उसके बाद डॉक्टर, इंजीनियर कुछ भी बनाएँ, क्योंकि एक अच्छे इंसान में बड़ा मुकाम हासिल करने की संभावना ज़्यादा होती है। अच्छे इंसानों से समाज अच्छा बनता है और अच्छे समाज से देश अच्छा बनता है।  


कुछ ऐसी बातों पर ग़ौर करते हैं जो आपके बच्चे को एक अच्छा इंसान बनने में मदद कर सके।  


बच्चे के लिए घर का माहौल अच्छा बनाएँ 



एक बात हमेशा याद रखें कि बच्चा जो देखता और सुनता है वही वो सीखता है। इसलिए बच्चों के सामने बुरी बाते न करें। अक्सर देखा जाता है कि बच्चे के सामने ही परिवार के लोग आपस में लड़ते-झगड़ते हैं और एक-दूसरे को भला-बुरा कहते हैं और इसका बुरा असर बच्चे पर पड़ता है, इसलिए कभी अपने बच्चे के सामने झगड़ा न करें।  


बच्चे को शेयरिंग सिखाएँ 


अपने बच्चों में मिल-बांट कर खाने की आदत डालें। ऐसा करने के लिए घर में खाना एक साथ बैठ कर खाएं। बच्चे को उसके दोस्तों के साथ भी शेयरिंग करना सिखाएं। इससे बच्चे में शेयरिंग की आदत बनेगी और उसके दिल में दूसरों के लिए परवाह भी बढ़ेगी। इससे एक फ़ायदा यह भी होगा कि आपका बच्चा तंगदिल नहीं बनेगा।   


बड़ो की इज़्ज़त करना सिखाएँ 


अक्सर रिश्तेदार और दूसरे लोग बच्चों के साथ छेड़खानी करते हैं, उनके साथ खेलते हैं और कई बार बच्चे नाराज़ हो कर उन्हें उल्टा जवाब दे देते हैं, तो उनकी इस बात पर पेरेंट्स को हंसने की बजाय बच्चे को समझाना व सिखाना चाहिए कि बड़ों की इज़्ज़त करें। बच्चों के दिमाग में यह बात अच्छी तरह बैठा दीजिये कि वह किसी बड़े की कभी बेइज़्ज़ती न करें। क्योंकि आपके बच्चे कैसा व्यवहार करते हैं, इसका फर्क/असर न सिर्फ बच्चे पर बल्कि आपने क्या संस्कार दिए हैं, इस पर भी पड़ता है। उस समय लोग भले ही आपको कुछ न कहे लेकिन उनके दिल में आपके बच्चे की इमेज गलत बन जाती है। 


अगर आपने अपने बच्चे को दूसरों की इज़्ज़त करना नहीं सिखाया तो आगे चलकर वो किसी की भी इज़्ज़त नहीं करेगा और हो सकता है कि वो आपकी भी इज़्ज़त न करे। एक बात याद रखें, जो किसी की इज़्ज़त नहीं करता उसकी इज़्ज़त करने वाला भी कोई नहीं होता। 


किसी को दुःख नहीं देने के बारे में जागरुक करें   


अक्सर बच्चे एक दूसरे का मज़ाक उड़ाते रहते हैं। आपको उनके मज़ाक में शामिल न होकर उनको समझाना चाहिए कि किसी का मज़ाक नहीं उड़ाएँ क्योंकि जिसका मज़ाक बनाया जा रहा है, उस पर बहुत बुरा असर पड़ता है। मज़ाक ऐसा होना चाहिए जिससे सबको हंसी आए न कि ऐसा जिससे किसी को बुरा लग जाए। बच्चों को समझाएँ कि किसी का मज़ाक बनाकर उनको दुःख नहीं पहुँचाना चाहिए।  


बच्चे की संगत पर भी नज़र रखें


अपने बच्चे की संगत पर नज़र रखना बहुत ज़रूरी होता है। अक्सर देखा जाता हैं कि बच्चों और उनके दोस्तों के बीच मज़ाक-मज़ाक में लड़ाई हो जाती है और कई बार लड़ाई बढ़ जाने के कारण उनमे दुश्मनी पैदा हो जाती है। फिर वो एक दूसरे को नुक्सान पहुँचाने का मौका ढूंढ़ते हैं। ऐसे ही मामलों के कारण कई बार बच्चे अपराधी बनने की राह पर चल पड़ते हैं और बच्चे का भविष्य भी ख़राब हो सकता है।


अपने बच्चे को अच्छे और बुरे की पहचान कराएँ और उनको समझाए कि अच्छे बच्चों के साथ ही दोस्ती रखें। किसी से बेवजह झगड़ा न करें, फिर भी अगर कोई झड़गा हो जाए तो घरवालों को ज़रूर बताए ताकि पेरेंट्स अपने स्तर (Level) पर उसका हल निकाल सके।   


बच्चो को ज़िद्दी न बनाएँ  


अक्सर देखा जाता है कि पेरेंट्स अपने बच्चों की हर बात मान लेते हैं, उनकी हर मांग पूरी करते हैं, ऐसा करने से बच्चे ज़िद्दी बन जाते हैं और वह किसी भी कीमत पर अपनी मांग पूरी करवाते है। ऐसी ज़िद से कई बार पेरेंट्स भी परेशान हो जाते और कई बार तो उनका बजट भी बिगड़ जाता है। अगर आप अपने बच्चे की सभी ज़रूरी और गैरज़रूरी ज़िद पूरी करते रहे तो उसे ज़िन्दगी के साथ एडजस्ट करना नहीं आ पाएगा। समय एक जैसा नहीं रहता कई बार हालात अच्छे नहीं होते और उस समय बच्चे ने कोई ऐसी मांग कर दी जिसे पूरा करने में आप असमर्थ हो जाओ, तब आप क्या करोगे? उसकी मांग पूरी नहीं कर पाने पर यह डर आपको हमेशा बना रहेगा कि वह कोई गलत कदम न उठा ले। इसलिए आपको बच्चो की सभी ज़िदें पूरी नहीं करनी चाहिए बल्कि बच्चे को एडजस्ट करने की आदत शुरू से ही उसे सिखा देनी चाहिए। 


बच्चों को पैसे की अहमियत समझाएँ 


बच्चों की जेब-खर्च (pocket money) तय कर दीजिए और उसे एहसास दिलाए कि उसे सिर्फ उतना ही खर्च करना है जितना उसे आज मिला है इससे ज़्यादा नहीं मिलेगा। इससे बच्चा उसमे अपना खर्च पूरा करेगा और उसे पैसे की अहमियत का पता चलेगा। अगर आप बच्चे को बे-हिसाब पैसा देंगे तो हो सकता है ज़्यादा पैसे मिलने से आपका बच्चा किसी गलत रास्ते पर चल पड़े जैसे नशे की लत, जुआ खेलने की लत और आगे आप खुद समझदार हैं।  


अच्छे व्यहार के बारे में बताएँ 


बच्चो को अच्छे व्यवहार के बारे में सिखाएं कि अच्छा व्यवहार करने वाले इंसान को समाज में सम्मान मिलता है। यह भी सिखाना चाहिए कि लड़का-लड़की, जाती-धर्म अमीरी-गरीबी, शारीरिक बनावट या किसी कारण से भी भेदभाव न करते हुए सबके साथ अच्छा व्यवहार करे।  


बच्चो को सिखाएं कि अगर उनके साथ पढ़ने वाले दोस्त को सफलता मिले तो उनकी सफलता में अपनी ख़ुशी भी ज़ाहिर करे और उन्हें बधाई भी दें। बच्चों को यह भी सिखाएं कि अपने साथियों की सफलता से ईर्ष्या (jealous feel) न करें। 


ये कुछ खास बाते हैं जिनसे बच्चे की ज़िन्दगी बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।



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